भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (21 जनवरी, 2014) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी पुनर्निर्माण मिशन प्रेरणा पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि शहरी गरीबी बहु-आयामी है। इस तरह के अभावों की प्रकृति के पूर्ण आकलन के लिए आय तथा उपभोग के परंपरागत मापदंड अपर्याप्त हैं। गरीबी के कारगर ढंग से समाधान के लिए आवासीय, व्यावसायिक तथा सामाजिक तीन प्रमुख कारकों को मिलाकर एक अधिक समग्र संवेदनशीलता आधारित नजरिए की जरूरत है। जब तक संवेदनशीलता के संदर्भ में शहरी गरीबी की सही समझ नहीं बनती तब तक किसी भी प्रकार के नीतिगत प्रयास अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने में असफल रहेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि शहरी गरीबों को औपचारिक आवास की प्राप्ति के साथ उनकी वहनीयता के मुद्दे के समाधान की जरूरत भी सामने आती है। उन्होंने कहा कि गरीबी उन्मूलन स्कीमों की सततता, दक्षता तथा आजीविका प्रशिक्षण तथा स्वरोजगार अवसरों के सृजन संबंधी बृहत प्रयासों पर निर्भर होगी। उन्होंने कहा कि स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना तथा राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन का, शहरी निर्धनों के वास्तविक सशक्तीकरण के लिए उपयुक्त ढंग से उपयोग करना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि शहर, व्यक्तियों के तथा सामूहिक समृद्धि के प्रमुख केंद्र हैं। यदि शहरों में रहने वाले लोग बुनियादी सुविधाओं के बिना त्रस्त रहेंगे तो वे अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने में और सर्जनात्मक प्रयासों में सफल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि हमें लोगों को उनके सर्वोत्तम योगदान के लिए सक्षम बनाना है। हर किसी को वह लाभ मिलने चाहिए जो शहर देता है। अन्यथा, हम अपने प्रयासों में पूरी तरह सफल नहीं होंगे।
इस अवसर पर ‘रिपोर्ट ऑन स्टेट ऑफ अरबन पूअर’ तथा ‘स्टेट ऑफ हाउसिंग इन इंडिया—ए स्टेटिस्टिकल कंपेंडियम-2013’ नामक दो पुस्तकों का विमोचन किया गया तथा उनकी प्रथम प्रतियां राष्ट्रपति को भेंट की गई।
यह विज्ञप्ति 1400 बजे जारी की गई।