भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (21 सितंबर, 2015) राष्ट्रपति भवन में डॉ. कपिला वात्स्यायन, ट्रस्टी, इंडिया इंटरनेशन सेंट द्वारा औपचारिक तौर पर विमोचित पुस्तक ‘बिल्डिंग ए जस्ट वर्ल्ड : एस्सेज इन ऑनर ऑफ मुचकुंद दुबे’ की प्रथम प्रति उनसे प्राप्त की।
इस अवसर पर राष्ट्रपति जी ने कहा कि उन्हें इस प्रकाशन की प्रथम प्रति प्राप्त करते हुए खुशी हो रही है। यह पुस्तक ऐसे लाखों लोगों की इच्छाओं की अभिव्यक्ति है जो एक दिन एक न्यायपूर्ण विश्व के साकार होने का सपना देखते हैं। यह पुस्तक हमें आज के विश्व की जटिल समस्याओं को समझने में सहायक होगी। महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि पृथ्वी में हमारी जरूरतों के लिए पर्याप्त संसाधन हैं परंतु हमारे लालच के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि हमें उन कुछ लोगों के लालच का खामियाजा भुगतना पड़ेगा जो प्रकृति के अंधाधुंध विध्वंश में लगे हैं और जिससे दुनिया भर की जलवायु पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जो लोग न्यायपूर्ण विश्व के निर्माण के इच्छुक हैं वे हमारे सम्मान के योग्य हैं तथा प्रोफेसर दुबे, जिन्होंने नीति तथा छात्रवृत्ति के रूप में इस दिशा में प्रयास किए हैं, निश्चय ही उनमें से एक हैं।
यह विज्ञप्ति 1440 बजे जारी की गई।